Laaltain

وہ مجھے کیوں مارنا چاہتے ہیں؟

9 دسمبر، 2016
وہ مجھے کیوں مارنا چاہتے ہیں؟
میں ایک پُرامن، قانون پسند، محبِ وطن شریف شہری ہوں
وقت پر بجلی، گیس، فون اور پانی کے بل جمع کراتا ہوں
ٹیکس دیتا ہوں
ٹریفک کے اشاروں کی پابندی کرتا ہوں
دفتر سے کبھی لیٹ نہیں ہوتا
ہر جگہ
دیے گئے وقت پر پہنچ جاتا ہوں
اپنی باری کے انتظار میں
گھنٹوں قطار میں کھڑا رہتا ہوں

ایک عام آدمی کی طرح
تاریخ کا حصہ ہوں
نہ کسی لشکر کی راہ میں رکاوٹ
بے وجہ پکڑے جانے سے ڈرتا ہوں
جلسوں، جلوسوں اور دھرنوں میں
سب سے پیچھے کھڑا ہوتا ہوں
سیر کے دوران
خاموشی سے راستے کے ایک طرف چلتا ہوں
اور سڑک پار کرتے ہوئے
دونوں طرف دیکھتا ہوں

زندگی کی چوہا دوڑ میں
دوسروں کو روند کر آگے نہیں بڑھتا
تیز بھاگنے والوں کے لیے
میدان کھلا چھوڑ دیتا ہوں
اور دوستوں کو آگے بڑھاتے بڑھاتے
خود پیچھے رہ جاتا ہوں
بہت اداس ہو جاؤں تو
کتابیں پڑھتا ہوں
نظمیں لکھتا ہوں
موسیقی سنتا ہوں
حاسدوں اور بدخواہوں سے بھی محبت کرتا ہوں
اور سچ بولتے بولتے خود جھوٹا بن جاتا ہوں

صبح اٹھ کر اخبار دیکھتا ہوں
اور شب خوابی سے پہلے
ٹی وی پر خبریں سنتا ہوں
زندہ ہوں
لیکن زندگی کا بوجھ اٹھاتے اٹھاتے
جیتے جی مر چکا ہوں
صرف اعلانِ مرگ باقی ہے
پھر بھی وہ دن رات میرا پیچھا کرتے ہیں
اور مجھے بے موت مار دینا چاہتے ہیں!

One Response

  1. “Wo mujhe kyon mar­na chahte hain ?” Poem by Naseer Ahmed Nasir
    Hin­di trans­la­tion- Shameem Zehra
    وہ مجھے کیوں مارنا چاہتے ہیں ؟
    वो मुझे क्यों मारना चाहते हैं ?
    नसीर अहमद नासिर

    मैं एक शान्तिप्रिय, क़ानून का पालन करने वाला, देशप्रेमी, सज्जन नागरिक हूँ
    समय पर बिजली, पानी, गैस और फ़ोन का बिल जमा करता हूँ
    टैक्स देता हूँ
    ट्रैफ़िक के चिन्हों का पालन करता हूँ
    दफ़तर से कभी लेट नहीँ होता
    हर जगह दिये गये समय पर पहुँच जाता हूँ
    अपनी बारी की प्रतीक्षा में घन्टों लाइन में खड़ा रहता हूँ
    एक सामान्य व्यक्ति की तरह इतिहास का हिस्सा हूँ
    न किसी सेना की राह में रुकावट हूँ
    बेवजह पकड़े जाने से डरता हूँ
    जलसों, जुलूसों, और धरनों में
    सब से पीछे खड़ा होता हूँ
    सैर करते हुए
    ख़ामोशी से रास्ते के एक ओर चलता हूँ
    और सड़क पार करते हुए, दोनों ओर देखता हूँ
    ज़िन्दगी की चूहा दौड़ में
    दूसरों को रौंद कर आगे नहीं बढ़ता
    तेज़ भागने वालों के लिए
    मैदान खुला छोड़ देता हूँ
    और दोस्तों को आगे बढ़ाते बढ़ाते
    ख़ुद पीछे रह जाता हूँ
    बहुत उदास हो जाऊँ तो
    किताबें पढ़ता हूँ
    कविताएँ लिखता हूँ
    संगीत सुनता हूँ
    जलने और बुरा चाहने वालों से भी प्रेम करता हूँ
    और सच बोलते हुए ख़ुद छोटा बन जाता हूँ
    सुबह उठकर समाचारपत्र देखता हूँ
    और रात्रि में सोने से पहिले टी व्ही पर ख़बरें सुनता हूँ
    जीवित हूँ
    परन्तु जीवन का बोझ उठाते उठाते
    जीते जी मर चुका हूँ
    केवल मृत्यु का एलान होना शेष है
    फिर भी वे दिन रात मेरा पीछा करते हैं
    और मुझे बेमौत मार देना चाहते हैं !!
    हिन्दी अनुवाद- शमीम ज़हरा

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  1. “Wo mujhe kyon mar­na chahte hain ?” Poem by Naseer Ahmed Nasir
    Hin­di trans­la­tion- Shameem Zehra
    وہ مجھے کیوں مارنا چاہتے ہیں ؟
    वो मुझे क्यों मारना चाहते हैं ?
    नसीर अहमद नासिर

    मैं एक शान्तिप्रिय, क़ानून का पालन करने वाला, देशप्रेमी, सज्जन नागरिक हूँ
    समय पर बिजली, पानी, गैस और फ़ोन का बिल जमा करता हूँ
    टैक्स देता हूँ
    ट्रैफ़िक के चिन्हों का पालन करता हूँ
    दफ़तर से कभी लेट नहीँ होता
    हर जगह दिये गये समय पर पहुँच जाता हूँ
    अपनी बारी की प्रतीक्षा में घन्टों लाइन में खड़ा रहता हूँ
    एक सामान्य व्यक्ति की तरह इतिहास का हिस्सा हूँ
    न किसी सेना की राह में रुकावट हूँ
    बेवजह पकड़े जाने से डरता हूँ
    जलसों, जुलूसों, और धरनों में
    सब से पीछे खड़ा होता हूँ
    सैर करते हुए
    ख़ामोशी से रास्ते के एक ओर चलता हूँ
    और सड़क पार करते हुए, दोनों ओर देखता हूँ
    ज़िन्दगी की चूहा दौड़ में
    दूसरों को रौंद कर आगे नहीं बढ़ता
    तेज़ भागने वालों के लिए
    मैदान खुला छोड़ देता हूँ
    और दोस्तों को आगे बढ़ाते बढ़ाते
    ख़ुद पीछे रह जाता हूँ
    बहुत उदास हो जाऊँ तो
    किताबें पढ़ता हूँ
    कविताएँ लिखता हूँ
    संगीत सुनता हूँ
    जलने और बुरा चाहने वालों से भी प्रेम करता हूँ
    और सच बोलते हुए ख़ुद छोटा बन जाता हूँ
    सुबह उठकर समाचारपत्र देखता हूँ
    और रात्रि में सोने से पहिले टी व्ही पर ख़बरें सुनता हूँ
    जीवित हूँ
    परन्तु जीवन का बोझ उठाते उठाते
    जीते जी मर चुका हूँ
    केवल मृत्यु का एलान होना शेष है
    फिर भी वे दिन रात मेरा पीछा करते हैं
    और मुझे बेमौत मार देना चाहते हैं !!
    हिन्दी अनुवाद- शमीम ज़हरा

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